Sunday, October 8, 2017

मानसिक, प्राणिक और आकाशीय शरीर को हम नहीं छू सकते

आप जिसे व्यक्ति कहते हैं वह बस एक बुलबुले जैसा है। इस बुलबुले में स्वयं का कोई तत्व नहीं होता।
वहाँ हवा थी। उसने अपने चारों ओर एक आवरण बना लिया और अब अचानक उसका स्वयं का एक अलग गुण हो गया। मोटे बुलबुले हैं, पतले बुलबुले हैं, मज़बूत बुलबुले हैं, कमज़ोर बुलबुले हैं, बड़े बुलबुले हैं, छोटे बुलबुले हैं – लोगों की तरह ही। अन्य प्राणियों की तरह भी।
लेकिन जब बुलबुला फूटता है तो बुलबुले के अंदर का तत्व कहाँ चला जाता है? हवा ने उसे वापस ले लिया; वायुमंडल ने उसे वापस ले लिया। इस प्रकार, एक बुलबुला आकाशीय शरीर के रूप में, प्राणिक शरीर के रूप में, मानसिक शरीर के रूप में और स्थूल शरीर के रूप में बनता है। स्थूल शरीर को हम जिस क्षण चाहें गोली मार सकते हैं। अगर हम चाहें तो स्थूल शरीर को दो हिस्सों में काटना की क्षमता हमारे अंदर है, लेकिन दूसरे शरीरों को काटने में हम समर्थ नहीं हैं। जिसे आप अस्तित्व कहते हैं, सिर्फ वही यह कर सकता है।

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