Wednesday, December 3, 2008

दोस्ती

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में ..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
यह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी॥पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन कहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी॥दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग॥दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये "अभी"पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..

Friday, August 22, 2008

कुछ चुटकुले

१३ का ३ गुना क्या ?
उ. सुरूर
बताओ कैसे ?
बिलकुल आसन है ....
तेरा * तेरा * तेरा = सुरूर

2) इक आदमी के 6 अंगुलियाँ थी,उसे लोग हनुमान बुलाते थे ..बताओ क्यों?

.....................क्योंकि उसका नाम हनुमान था..

3) भारत की पहली महिला जिसने हवाई विदेश यात्रा की ??
..........सीता , रावण के साथ !

4) कंगारू क्या बोला जब उसका बच्चा उसे नही मिला ??
…….आईला !!!!! किसने मेरा पॉकेट मार लिया !!!


5)इक हाथी को चींटी से प्यार हो गया पर चींटी के घरवाले राजी नहीं , बताओ क्यों ? ??
......…**लड़के का दांत बाहर है**


6 ) Full form of MATHS????
Mentally Affected Teacher Harassing Students…

8) उस लड़की को क्या कहोगे जो हंसती नहीं हो ??
उत्तर : हसी-ना

Tuesday, July 22, 2008

त्राहिमाम ! त्राहिमाम ! त्राहिमाम !

त्राहिमाम ! त्राहिमाम! त्राहिमाम!
महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी की कविता की पंक्तियाँ हैं ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,अश्रु, श्वेद, रक्त सेलथ पथ, लथ पथ, लथ पथअग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ!.किन्तु आज के संदर्भ मे एस कविता को इस प्रकार लिखना होगा ..... ........अरे ,रुको जरा देखो यह कैसा वीभत्स द्रश्य है,मर रहा मनुष्य हैं .अश्रु, श्वेद, रक्त सेलथ पथ, लथ पथ, लथ पथअग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ !......रेलपथ !रेलपथ !आदमी की दिव्य देह ,दे रही दुर्गन्ध राजनिति की वासना ,ले रही आनंद .....कुत्ते चील भी करने लगे उल्टियाथम गई ,गड़ गई ...............दौड़ती रेल गाडियाँ मर नही सकता कोई भी देश फिर से चल पड़ेगा ...इसी उम्मीद पर तो कल टिका हैं जाति के कब टूटेंगे बन्धन ...सिर्फ एक सपना हैं जातियों के घ्रणित चक्रव्यूह मे फँसाकर देश को,हंस रहें है ..राजनिति के खूनी भेडिये...शायद सो रहें हैं भगवान भी ,त्राहिमाम ! त्राहिमाम! त्राहिमाम! .

Sunday, July 20, 2008

मेरी चाहत

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं***

Friday, July 18, 2008

सफलता का राज

कोशिश तो सबको करनी चाहिए!!According To A सफल आदमी !!कहने को मैं कह सकता हूँ कि सफलता-असफलता कुछ नहीं होती। लेकिन मैं जानता हूँ कि सफलता-असफलता दुनियावी लिहाज़ से बहुत मायने रखती है।सफल आदमी को दुनिया मानती है और असफल आदमी को वह स्वीकार नहीं करती।यह ठीक है कि कोशिश करते रहने से आख़िर सफलता मिल ही जाती है और असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए। लेकिन यह भी कम बड़ा सच नहीं है कि कई बार सफलता इतनी देर से मिलती है कि आदमी टूट जाता है। हताश हो जाता है और अपने आपको तबाह कर लेता है।ठीक उसी तरह यह भी सच है कि कई बार जीवन में सफलता इतनी जल्दी मिल जाती है कि उसे संभालना मुश्किल होता है।मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा क्योंकि मेरे कंधे पर सफलता थी और पीछे मुड़कर देखने की ज़रुरत ही नहीं थी. आज मुझे भी अच्छा लगता है कि मैं पीछे मुड़कर नहीं देखतामैं आज जो कुछ भी कर पा रहा हूँ, यह कहने में हिचक नहीं कि उसके पीछे मुझे मिली सफलता है. अगर मुझे अपने शुरुआती दिनों में इतनी सफलता न मिली होती तो नहीं मालूम कि मैं इतनी ही शिद्दत से और इतनी मुद्दत तक काम कर भी पाता.आज लोग कहते हैं कि ...... ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

Wednesday, July 16, 2008

फॅमिली प्रॉब्लम

दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे ......
एक ने कहा...." यार.... बहुत फेमिली प्रॉब्लम है "
दूसरा व्यक्ति : तु पहले मेरी सुन........
मैंने एक विधवा महिला से शादी की जिसके एक लड़की थी ...
कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरे पिताजी को उस विधवा महिला कि पुत्री से प्यार है ....
और उन्होने इस तरह मेरी ही लड़की से शादी कर ली ...
अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी माँ बन गयी....
और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गयी !!
ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई जब जब मेरे लड़का हुआ ॥
अब मेरा लड़का मेरी माँ का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया .......
परिस्थिति तो तब ख़राब हुई जब मेरे पिताजी को लड़का हुआ ....
मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही नवासा( दोहिता ) हो गया और इस तरह मैं स्वयम का ही दादा हो गया और स्वयम का ही पोता बन गया ............"
और तू कहता है कि तुझे फेमिली प्रॉब्लम है ...."

Tuesday, July 15, 2008

खूबसूरत

कल मैने खुदा से पूछा कि खूबसूरती क्या है?

तो वो बोले खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है

खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए.....

खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए .....

Monday, July 14, 2008

मेरी चाहत

ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,

दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए,

ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,

मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए,

कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए,

उस दोस्त के चोट लगने पर हम भी दो आँसू बहाने का हक़ रखें,

और हमारे उन आँसुओं को पोंछने वाला उसी का रूमाल चाहिए,

मैं तो तैयार हूँ हर तूफान को तैर कर पार करने के लिए,

बस साहिल पर इन्तज़ार करता हुआ एक सच्चा दिलदार चाहिए,

उलझ सी जाती है ज़िन्दगी की किश्ती दुनिया की बीच मँझदार मे,

इस भँवर से पार उतारने के लिए किसी के नाम की पतवार चाहिए,

अकेले कोई भी सफर काटना मुश्किल हो जाता है,

मुझे भी इस लम्बे रास्ते पर एक अदद हमसफर चाहिए,

यूँ तो 'मित्र' का तमग़ा अपने नाम के साथ लगा कर घूमता हूँ,

पर कोई, जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए!

Sunday, July 13, 2008

दोस्ती

बातें करके रुला ना दीजिएगा...

यू चुप रहके सज़ा ना दीजिएगा...

ना दे सके ख़ुशी, तो ग़म ही सही...

पर दोस्त बना के यूही भुला ना दीजिएगा...

खुदा ने दोस्त को दोस्त से मिलाया...

दोस्तो के लिए दोस्ती का रिस्ता बनाया...

पर कहते है दोस्ती रहेगी उसकी क़ायम...

जिसने दोस्ती को दिल से निभाया...

अब और मंज़िल पाने की हसरत नही...

किसी की याद मे मर जाने की फ़ितरत नही...

आप जैसे दोस्त जबसे मिले...

किसी और को दोस्त बनाने की ज़रूरत नही

Saturday, July 12, 2008

मेरी तलाश .............................


वो जो खुली पड़ी खिड़कियाँ थी,वहा अब एक साया सा दिखने लगा था..बेचारी खिड़की का सूनापन अब दूर होने लगा था...जानी अनजानी रहो से अब वो शख्स साफ होने लगा था...और साफ देखने के लिए मैंने अपने चश्मे की धूल साफ कर ली...वो बरामदे की खुली खिड़कियों से रोज़ झाँका करता था...कभी कभी वो हाथ हिलाकर मुझे आमंत्रित भी करता था...और उसके हाव भाव भी मुझसे काफी मिलते थे...जब भी में "उदास" होता वो मुझे बुलाता था....में अचंभित आशंकित वहाँ जाने से डरता था....एक दिन वो साया खिड़की से गायब था...काफी ढूँढा पर...पर खिड़की का सूनापन दूर न हुआ...थककर बैठा.....देखा वो मेरे सामने खडा था...एक असीम उर्जा का अनुभाव किया मैंने....पूरा कमरा प्रकाश से भर गया...वो धीरे धीरे पास आकर मुझमे विलीन हो गया... ये वो "दिव्य अंश" था....."जिससे मेरी उत्त्पत्ति हुई थी..."हाँ....यह में हूँ...उस देवता का स्वरूप....भटका हुआ इंसान....आज मानव शरीर लिए उसी "दिव्यता" को ढूँढ रहा हूँ..........!