Monday, November 28, 2016

मोक्ष

आत्मा अकेले आती है ,अकेले जाती है ,हम सभी यह जानते हैं ,किंतु आत्मा मुक्ति तो अकेले हो सकती है पर मोक्ष अकेले नहीं होती ,क्योकि आत्मा की उतपत्ति पर उसमे विभाजन हो जाता है और जब तक दोनों भाग आपस में नहीं मिलते मोक्ष सम्भव नहीं ।मुक्ति एक अवस्था है जिसमे जन्म मरण बन्द हो जाता है किंतु आत्मा का अस्तित्व बना रहता है जबकि मोक्ष में आत्मा का ही अस्तित्व समाप्त हो जाता है और उसका कोई गुण नहीं बचता ,वह निराकार ,निर्गुण ऊर्जा में विलीन हो जाता है ।एकल आत्मा अथवा एकल व्यक्ति मुक्ति तो पा लेता है किन्तु मोक्ष तबतक संभव नहीं जबतक उसके आत्मा युगल [आत्मा के आधे हिस्से ] से उसका मिलन नहीं हो जाता |जब तक दोनों भाग एक साथ नहीं मिलते मोक्ष संभव नहीं |यही वह तथ्य है जिसके लिए हजारों योगी हजारों वर्ष तप करते रहते है ,अथवा अपने अर्ध आत्मा युगल का इंतजार करते रहते हैं ,समाधि ,पहाड़ अथवा कंदराओं में ,जबकि मुक्ति तो जब चाहें मिल जाए उन्हें [व्यक्तिगत सोच]......................................................................हर-हर महादेव

No comments: